कोरोना से लड़ाई है – धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी

कोरोना से लड़ाई है,कोरोना से लड़ाई है,
घर पर रहकर घर से ही तीर हमने चलाई है।
फिर जीतेंगे क्योंकि
जीती हमने भी हरेक लड़ाई है।
पर फिर भी सोचता हूं “आज”——
“आज”—— कब गुजर जाएगा ?
कोरोना का करेंट कब तक तड़पायेगा ?
तड़प-तड़पकर वो कब मर जाएगा ?
सोचो जरा ये संभव कैसे हो पाएगा?
तरीका कोई मुश्किल नहीं बल्कि आसान है,
भले ही मानवता आज परेशान है।
पर कोई बात नहीं————
रहना है दूर तन से,मन से मन को मिलाये,
रूकना है घर पर हरदम,आलस्य का चादर ओढ़े,
लगाना है मास्क समयोचित,बगैर कोई बहाना किये,
धोना है हाथ जब तब ,बगैर कोई देर लगाये,
और फिर भी न लगे मन तो—-
तो भी मन को मनाना है,
चाहे-अनचाहे काम में हाथ भी बंटाना है।
मौका मिला है दुर्लभ,
परिवार के साथ हरपल जीवन बीताना है।
सोच लो,समझ लो,जान लो इस बार,
जान का दुश्मन वार को है तैयार, पर
ये धरती——-ये धरती है भारत की,
भले घात अदृश्य दुश्मन ने लगाई है,पर
जीती हमने भी हरेक लड़ाई है।
आज फिर एक बार दुश्मन के सामने,
भारतीयों ने ली अचूक अंगड़ाई है।
कोरोना से लड़ाई है,कोरोना से लड़ाई है।
घर पर रहकर घर से ही तीर हमने चलाई है,
फिर जीतेंगे क्योंकि
जीती हमने भी हरेक लड़ाई है।

(धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी)

Get in Touch

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Latest Posts